Tenali raman stories in hindi-tenaliram ki chaturai


Tenali raman stories in hindi-tenaliram ki chaturai(तेनालीराम की चतुराई)

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Tenali raman stories in hindi

Tenali raman stories in hindi-tenaliram ki chaturai।एक गर्मी की रात, जब तेनालीराम और उनकी पत्नी हो रहे थे, तो उन्हें बाहर से पत्तियों के सरसराने की आवाज सुनाई दी । उस समय हवा भी नहीं चल रही थी, इसलिए उन्होंने सोचा कि झाड़ियों में चोर छिपे हैं। अब भी सोचने लगे कि उन्हें आखिर क्या करना चाहिए जिससे चोर भी पकड़ा जाए और किसी को कोई नुकसान भी ना हो। तभी तेनालीराम को चोर को पकड़ने की एक युक्ति की सूझी।

उन्होंने एक योजना के बारे में सोचा और अपनी पत्नी से कहा, "प्रिय, मैंने सुना है कि हमारे पड़ोस में कुछ कुख्यात चोर रहते हैं।इसलिए हमें अपने सभी गहने और पैसों को छिपा देना चाहिए ताकि वह सुरक्षित रहें। Tenali rama ki kahani

थोड़ी देर बाद तेनालीराम और उनकी पत्नी एक बड़े ट्रंक को लेकर घर से निकल पड़े और उसे कुएं में गिरा दिया। तब ही घर के अंदर वापस चली गये, और सो जाने का नाटक करने लगे।

चोर थोड़ी देर इंतजार करने लगे और फिर उन्होंने कुएं से पानी खींचना शुरू कर दिया।

वे कुएं खाली करके खजाना पाने की कोशिश कर रहे थे। और पूरी रात पानी बाहर निकलते रहे। सुबह तक हुई ट्रंक को बाहर निकालने में कामयाब रहे, और जब उन्होंने इसे खोला तू ही चौक गये क्योंकि इसमें केवल कुछ बड़े पत्थर रखे थे।

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उन्हें समझ में आ गया कि यह तेनालीराम की योजना थी। तभी तेनालीराम कुछ सैनिकों के साथ वहां आए और कहा,"धन्यवाद दोस्तों, मेरे पौधों को पानी देने के लिए। मुझे आपके श्रम के लिए आपको भुगतान करना होगा।

यह सुनकर, सभी चोर तेनालीराम के पैरों में गिर गए और माफी मांगने लगे। उन्होंने वादा किया कि वे अब से कभी चोरी नहीं करेंगे। तेनाली ने उन्हें जाने देने का फैसला किया।

Tenali raman stories in hindi-mariyal ghoda(मरियल घोड़ा)

Tenali ram ki stories
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Tenali raman stories in hindi-mariyal ghoda।राजा कृष्णदेव राय का घोड़ा अच्छी नस्ल का था इसलिए उसकी कीमत ज्यादा थी। तेनालीराम का घोड़ा मरियल था। तेनालीराम उसे बेचना चाहते थे, पर उसकी किमत बहुत ही कम थी। वे चाहकर भी बेच नहीं पाते थे।

एक दिन राजा कृष्णदेव राय और तेनालीराम अपने-अपने घोड़े पर सवार होकर सैर को निकले। सैर के दौरान राजा ने तेनालीराम के घोड़े की मरियल चाल देखकर कहा,'कैसा हरियर घोड़ा है तुम्हारा, जो कमाल मैं अपने घोड़े के साथ दिखा सकता हूं वह तुम अपने घोड़े के साथ नहीं दिखा सकते।tenaliram stories

 ने राजा को जवाब दिया,'महाराज जो मैं अपने घोड़े के साथ कर सकता हूं वह आप अपने घोड़े के साथ नहीं कर सकते।'

राजा मानने को जरा भी तैयार नहीं थे दोनों के बीच सौ-सौ स्वर्ण मुद्राओं की शर्त लग गई।

दोनों आगे बढ़े। सामने ही तुंगभद्रा नदी पर बने पुल को पार करने लगे। नदी बहुत गहरी और पानी का प्रवाह तेज था उसमें कई जगह भंवर दिखाई दे रहें थे।

एकाएक तेनालीराम अपने घोड़े से उतरे और उसे पानी में धक्का दे दिया।tenali raman ki kahani

उन्होंने राजा से कहा,'महाराज अब आप भी अपने घोड़े के साथ ऐसा ही करके दिखाइए'

मगर महाराज अपने बढ़िया और कीमती घोड़े को पानी में कैसे धक्का दे सकते थे। उन्होंने तेनालीराम से कहा, न बाबा न, मैं मान गया कि मैं अपने घोड़े के साथ यह करतब नहीं दिखा सकता, जो तुम दिखा सकते हो।'

इस पर राजा ने तेनालीराम को 100 स्वर्ण मुद्राएं दे दी।

और राजा का सिर शर्म के मारे झुक गया।tenali raman stories in hindi

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